तुम कौन हो मेरी!
तुम कौन हो मेरी!
देखो सखी,
समय का दैत्य
जीवन की रेती पर
निःशब्द…………
अपने पदचिन्ह
छोड़ रहा है!
और सुनो!
रिक्तता के साम्राज्य में
कैसे वो दैत्य
अपने शब्दहीन शूलों से
आघात कर रहा है
ह्रदयकर्नौ पर
कि पूरा ह्रदय
छलनी हुआ जाता है!
पर सखी,
भावना की कोमल भूमि पर
इस प्रचंड ताडंव नर्तन में भी
--- मुझे---
अपने ही आसपास
आज भी दीख पड़ता है
---तुम्हारा साया!
उत्तर दो मुझे,
सखी……
तुम कौन हो मेरी!
देखो,
ध्यान से देखो,
मैं………..
वो नहीं हूं
जिसे……..
अपनी कल्पनाओं में गढ़ कर
तुमने……
देवता बनाया था!
---मैं---
वो भी नहीं हूं आज,
जिसकी तीक्ष्ण दृष्टि और
तेजोमय नेत्रों की व्याख्या
तुमने कभी
छंदों में की थी!
ना ही रहा हूं शेष
कि तुम्हारी आशापूर्ती का
साधन बन सकूं!
सखी! तुमने सुना होगा,
महाभारत में
एक पव॔त पर
स्थिर कर दिया था
कृष्ण ने,
भीमपौत्र का सर,
कि उसकी मृत्यु के पश्चात भी
वो बस देख सकता था
केवल---- विनाश, महाविनाश!
तो सोचो,
विजय के बाद भी
क्या मिला होगा उसे
इतना सुख?
जितनी सही होगी
उसके ह्रदय ने –
--पीड़ा
उस महाविनाश में?
एसे ही सखी,
मुझे भी कर दिया है—
---- निष्क्रिय,
परिस्थितियों ने…..या…..
सम्भवतः ----
स्वयं मैंने ही!
कि मैं भी केवल
देख सकता हूं
बिना पग और भुजाओं के!
कि प्रत्येक घड़ी
मेरी ह्रदय भूमि पर
कितना विनाश हुआ जाता है!
किन्तु………….
थम जाती है मेरी दृष्टि
किसी स्थान पर,
जहां मुझे....
तुम्हारा साया दीख पड़ता है
--------आज भी------
युगों से प्रतीक्षारत!
और मैं,
उसी क्षण,
छोटा होता जाता हूं!
लघु से लघुतर,
लघुतर से लघुतम!
तुम्हारी…..
शांत मुखाकृति की छांव में,
मैं………
नवजात शिशु होकर रह जाता हूं!
सखी!
क्या तुम प्रेमिका हो?
नहीं ये भी तो नहीं,
क्योंकि,
तुम्हारे ही आंचल की नर्मी में
मुझे…….
मां का आभास होता है!
पर पत्नि भी तो एसे ही……..
और…….
मित्र की परिभाषा भी तो
यही है ना?
तो बताओ सखी!
तुम कौन हो मेरी?
देखो,
मैं विवश नहीं था,
पर…….
भावना की रणभूमि में
घायल कर दिया गया मुझे!
जीवन के पिछले दृश्यों में,
ह्रदय और मस्तिष्क के बीच,
कभी घमासान हुआ था!
उस अधूरे युद्ध में,
मैंने खो दी थीं
भुजाएं अपनी!
तुम,
तब भी
मेरे साथ ही थीं
-----प्रतीक्षारत----!
है ना?
अब भी ---
शेष है सखी,
--वो युद्ध—
और………
मैं हूं------
घायल….निष्क्रिय….!
युद्ध की समाप्ति के
पूर्व ही से,
जानता हूं!
मैं---
रहुंगा पराजित
हारुंगा---
भविष्य को,
दोनो ही पक्ष में!
पर…….
तुम अब भी…..
मेरे साथ हो!
बताओ ना, क्यों?
उत्तर दो सखी
तुम कौन हो मेरी?