क्या मुझसे व्यापार करोगे?
क्या मुझसे व्यापार करोगे?
आज का दिन है सुखद क्षणों का,
आज मैं हल्का हुआ बोझ से,
आज प्रफुल्लित हुआ मेरा मन,
मुक्त हुआ मैं गहन सोच से!
आज हृदय में हाट लगी है,
आओ दो के चार करोगे,
बेच रहा जज्बात आज मैं,
क्या मुझसे व्यापार करोगे?
स्वप्न लगे हैं, अरमां भी हैं,
कुछ लम्हे कुछ वादे भी हैं,
इतने सस्ते कहाँ मिलेंगे,
कुछ किस्से कुछ यादें भी हैं!
तुम मुझे कुछ वादे दे दो,
बदले में कुछ यादें ले लो,
बस दे दो थोड़ा सा साथ,
बदले में दूंगा जज्बात!
मेरा जीवन मुफ्त मिलेगा
जो लोगे दिल मेरा दोस्त
बहुत टिकाऊ और सस्ता है
समझो ना बस लहू और गोश्त!
पर विचित्र है मित्र ये सौदा,
दाम यहां तुम नहीं लगाना,
इनकी कीमत बस इतनी है,
नया दो और लो पुराना!
पहले कभी मेरी दृष्टि में,
इनकी भी कीमत थी भारी,
छुपी थी बस अंतस में मेरे,
थी अनमोल ये चीजें सारी!
कुछ खुदगर्जों मक्कारों ने
पर जब इज्जत इनकी लूटी,
करके नंगा चौराहों पर,
उनकी हवस जब इनपे टूटी,
तबसे सब सम्मान हृदय का
महाकाल को प्राप्त हुआ था,
मेरे अंदर का पीयूष तब
व्यर्थ हुआ, विषाक्त हुआ था!
तब से मैंने जज्बातों की
हाट लगा ली हृदय में अपने,
बेच रहा हूं तब से अपने,
आशा इच्छा दर्द और सपने!
पर छोड़ो तुम व्यर्थ की बातें,
दर्द के किस्से, काली रातें!
आओ ना बाजार में मेरे,
छेड़ो कुछ धंधे की बातें।
आज हृदय में हाट लगी है,
आओ दो के चार करोगे,
बेच रहा जज्बात आज मैं,
क्या मुझसे व्यापार करोगे?