अबके आओ तो अकेले आना
अबके आओ तो अकेले आना


तुम रोज़ जो साथ लाती हो साथ अपने,
मुहब्बत की प्यास और गहरे जज़्बात,
कांपते होठों में दबी दिल की आवाज़,
और मासूम आंखों से बरसती प्यार की बरसात!
पर तुम्हारी उपस्थिति तुम्हारे साथ लाती है,
कुछ और अयाचित साए!
अनचाहे कुछ तथ्य, कुछ तेज़ गर्म हवाएं!
जो अक्सर बदल देती हैं रुख़,
तुम्हारे लबों से निःसृत तुम्हारे दिल की बात का!
जो सोख लेतीं हैं अक्सर रास्ते में ही,
प्यार की बूंदो को!
मैं…
भीग नहीं पाता हूं अक्सर,
उस बरसात में!
कोरा ही शेष रह जाता हूं!
अबके आओ तो अकेले आना
प्यार की कुछ बूंदें भी साथ लेते आना!
पर वो गर्म हवाऐं वो अयाचित साए ना लाना!
कुछ ना कहना आकर, बस सिरहाने बैठ जाना
और जब जी भर जाए बैठे-बैठे,
तो प्यार की कुछ बूंदें, जलती पेशानी पर छिड़क जाना!
तब शायद भीग जाऊं मैं, तुम्हारे प्यार में,
प्यार की दो बूंद काफी हैं, मुझे भिगोने के लिए!!