STORYMIRROR

Charu Chauhan

Romance

4  

Charu Chauhan

Romance

कभी नहीं कहा

कभी नहीं कहा

1 min
455

उन्होंने कभी नहीं कहा,

उन्हें प्यार है हमसे। 

फेरों के वक्त लिए थे, 

हाथों में हाथ लेकर सात वचन, 

उसके सिवा कभी नहीं खाई जीने मरने की कसमें। 

वो बस चल रहे हैं डगर पर साथ मेरे, 

बारिश में छतरी की तरह। 


उनका स्पर्श ही प्रीत को बयां कर जाता है, 

किसी काग़ज़ी प्रेम पत्र की, 

उन्हें नहीं हुई कभी आवश्यकता। 

गिरती हुईं को जब सम्भाल लेते हैं 

मेरी आवाज़ लगाने से पहले, 

लगता है सच, नहीं उन्हें किसी अनावश्यक 

वादों की डोर की आवश्यकता। 


उम्र दोनों की ही हो रही, 

थकान, घबराहट उठती है दोनों के मन में। 

मैं हो भी जाती हूँ शिथिल कभी-कभी, 

पर उनकी स्फूर्ति बिछा देती है, 

मेरे मन में आशा का बिछौना। 

वो बस चल रहे हैं साथ मेरे, 

बारिश में छतरी की तरह।।







Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance