मौहब्बत फिर से जवाँ हो गयीं
मौहब्बत फिर से जवाँ हो गयीं
ख्वाब देखे थे जो बरसों पहले
आज भी वो कायम है....
बूढे हुए तो क्या हुआ धड़कन
में धड़कता आज भी तेरा नाम है....
इश्क़ के नाम पर हम तो
हर गली में बदनाम हैं ....
है तू साथ मेरे तो मुझे अब
जिन्दगी से कैसी शिकायत
तेरे नाम से ही तो मेरा नाम है....
मैं तो करता हूँ खुलकर
अपने इश्क़ का ऐलान....
लाज तो कब की हवा हो गयी....
कंपकपाते उसके हाथ जो पड़े
इन कंपकपाते हाथों में.....
लगा ऐसा.... जैसे
मौहब्बत हमारी फिर से जवाँ हो गयीं....
संग तेरे साथिया जीवन ये सारा
मेरा बीत जाने दे....
बचे हैं जिन्दगी के जितने भी
पल तेरे संग जीने दे....
हाथों में हाथ
तेरा रहने दे.....
सुख रहें या दुख रहें,
सब संग तेरे ही सहने दे!

