रेल की पटरी
रेल की पटरी
दो समानांतर रेखाओं से हम दोनों,
चलते चले जा रहे हैं, साथ-साथ या दूर-दूूर,
पास-पास या दूर-दूर,
ये सोच के कि कहीं दूर गगन के उस पार,
बादलों के उपर कहीं,
कहीं तो मिल जाएगी ये रेखाएं,
या, ये मेरी संतुष्टि का बहुत बड़ा कारण है,
कि ना भी मिलो, तो भी तुम मेरे साथ हो,
अथक प्रयत्न तुम्हारा मेरे साथ होंने का
गर्वित करता है मुझे,
तुम्हारा मेरे साथ होने मात्र का
ये अनुभव अतुलनीय है प्रीये,
मालूम है ना रेल की कभी
ना मिलने वाली पटरियां भी,
कभी दिशा बदलने केे लिए ही सही,
मिलती जरूर है, मिलती जरूर है
चाहेे बिछड़नेे के लिए ही सही, है नाा !