अंगूठी
अंगूठी
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तुम मेरी माला के अमूल्य मोती ही तो हो,
सबको पटवे ( माला गुथने वाला) केे पास
मज़बूती से गुथवाया था मैने,
पर पता नहीं कब तुम टूट कर अलग हो गए,
अब माला का पुराना प्रारूप तुम्हें
पसन्द भी नहीं आता,
तो क्या?
समय परिवर्तनशील है ,
अब जब सब मोती बिखर कर अलग हो गए तब,
मैं माला तो ना बना पाउंगी,
तो क्या?
तो इस एक मोती को अच्छे से
अंगुठी में जड़वा दूंगी
हीरो के साथ ,
बना दूँगी बहुमूल्य वा सुंदर,
और पहन लूंगी उसे अनामिका में,
जैसे सगाई की अंगूठी हो।