कृति
कृति
मैंने एक सफेद काग़ज़ में कुछ रंग भरे,
अपने हिसाब से आकार दिया ,
और जब वो पूरी हो गई, तो मुझे घमंड हो गया खुद पे,
कि ये मेरी कृति है, मेरा अधिकार है, मेरा सृजन है ये,
पर पता चला कि सृजन कर्ता का
अपनी कृति पर तब तक अधिकार होता
जब तक वो पूरी नहीं हो जाती,
जैसे ही वो पूरी होती है,
उसका एक अलग अस्तित्व हो जाता है,
तुम चाहो तो नीचे अपना नाम स्वयं लिख दो,
पर उसपर अब तुम्हारा कोई अधिकार नहीं।