बोलो ना
बोलो ना
उगूँ मै तेरे गमलों के फूल सी,
बहूँ तो ठंडे पवन सी,
चलूं के जैसे लहलहाते खेेेत हों,
पडूं तो हलक मे केवड़े के पानी सी,
चाहत मै बनू तेरी सर्दी की धूप सी,
या बन जाऊँ जेेठ मेंं छाया वट वृक्ष सी,
बोलो ना और क्या बन जाऊँ मैै तुम्हारेे लिए ,
कि मैं ना रहूं, कि मै , मै ना रहूं।