वो ख्बाव बनकर रह गई
वो ख्बाव बनकर रह गई
जब मैंने उसे देखा,
मेरा दिल धड़का,
उसकी ओर हुआ रोमांचित,
दिन भर उसके सपनेे देखने लगा,
रोमांटिक कहानियाँ गढ़ने लगा,
ख्बावों ही ख्बावों में उससे मिलता,
ढ़ेरों प्यार की बातें करने लगा।
समय ऐसा आ गया,
उसकेे बिना कुछ भी अच्छा नहीं लगनेे लगा,
बस हर वक्त वो छाई रहती,
और कोई बात नहीं भाती।
लेकिन हमारी बात कौन आगे बढ़ाए,
ऐसा कुशल वकील कहां से लाएं,
बस यहीं सेे आगे नहीं बढ़ पाए।