मेरा मीत
मेरा मीत
प्रीत सी प्यारी कोई रीत नहीं
कहने को कोई गीत सही
हर मोड़ पर जो खड़ा रहे
हो बस मीत वही
वक़्त निकलता रह जाये
रेत सा फिसलता बह जाये
हाथ मैं हाथ डाले बंधे सही
हो बस मीत वही
टूटने से जो न टूटे
बंधन मे बांध जाये कंही
तेरे अश्क़ों को हथेली पर सजाये हुए
होठो पर मुस्कराहट लाये सही
हो बस मीत वही
बस मीत वही।

