अनजान मोहब्बत
अनजान मोहब्बत
कुछ शब्द पन्नो पर अनकहे से बयां होते है
शायद दर्देदिल जानने वाला किसी का हो गया
शायद मुलाकातों का दौर फिर चल पड़ा है
नयी उड़ान भरने को पंछी फिर से उड़ चला है
खामोशिया बता रही दिलो की गुफ्तगू शुरू हो चली है
एहसास नए बंध गए और कसमे नयी जुड़ चुकी है
फिर एक नयी मोहब्बत दहलीज पर दस्तक दे गयी है
गुमसुम दिलों में फिर एक आग की ज्वाला जल उठी है
दिल के अरमानों को एक नयी झलक सी मिल गयी है
दो दिलों के मिलने से रोशन हुआ ये सारा जंहा है
खबर ये कुछ कच्ची पक्की सी कानों में फुसफुसायी है
आज फिर मौसम ने ली खुशबू से लबरेज रंगीन अंगड़ाई है।