STORYMIRROR

Shalini Dikshit

Romance

4  

Shalini Dikshit

Romance

महरूम

महरूम

1 min
213

जब नाम लिखा तेरा कलम से,

उठ गई उंगलियां मुझ पर। 


जब चमका चेहरा तेरे नाम से,

उठ गई उंगलियां मुझ पर। 


जब महका तन तेरे स्पर्श से,

उठ गई उंगलियां मुझ पर।


अब महकती है मेरी रूह तेरे इश्क से,

नहीं उठती उंगलियां मुझ पर। 


अब रूह में बसता है तेरा इश्क महक बनकर,

जमाना खुश है मुझे महरूम देखकर। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance