अग्नि परीक्षा
अग्नि परीक्षा
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राजकुमारी थी वो
फिर भी भटकना पड़ा वन में
पर नहीं छोड़ा साथ पति का।
महारानी बनी वो
अग्निपरीक्षा भी दी उसने
फिर भी जाना पड़ा वन में
पर नहीं किया पति का अपमान उसने।
आज की नारी है जो
नहीं देना चाहती अग्नि परीक्षा
चाहती है सारे सुख
चाहती है बहुत सा मान
पर कर देती है पल पल पति का अपमान।
महान थी सीता माता
उस के जैसा मान सम्मान
पाना चाहती है सब नारी
तो आचरण भी करना होगा सीता मां के जैसा