पिया मिलन को चली
पिया मिलन को चली
यादों के झरोखे में
आज उसको देखा
झिलमिला उठी हस्ती मेरी
जब एक नज़र भर
उसकी तस्वीर को देखा
याद आ गया वो खुशनसीब पल
जब पहली बार उसको देखा
सुडौल काया गम्भीर चहरा
उसपे सजल मुस्कान
हृदय चुराने लगी मेरा।
दिल की धड़कन तेज हो जाती
जब उसके आने की खबर हवा सुनाती
एक महक महका जाती मेरी सांसों को
जब उसके आने की आहट
मेरे दरवाजे पर होती।
सिमट खड़ी मैं स्थिर हो मौन पड़ जाती
जब उसकी बाहें मेरे कांधे पे होती
थर थर थर थर मैंं कांप उठती
जब उसकी" इज्ज़त भरी"
"निगाहें "मुझे प्रेम पूर्वक देखती।
आज फिर वो निगाहें लौट आई हैं
एक "चिठ्ठी"उनकी आज आई हैं
महक फिर वही फिज़ाओं में छाई है
उनसे मिलने की शुभ घड़ी
मेरे जीवन में रंगत लाई है।
स्थान वही वृक्ष की छाव वही
धड़कने वही सादगी वही
वो पेड़ की ओट पा खड़े
मेरी ओर देखती निग़ाहों में
इज्ज़त की रवानगी वही।

