जीवन और जिंदगी
जीवन और जिंदगी


सांसों के" सुर-ताल" से
"संगीतमय" जिंदगी
पलकों के पट खोल-
बंद के मध्य जीती-जागती जिंदगी,
जल तरंगों की भांति,
माधुर्य संगीत सुनाती जिंदगी,
हर पल एक नया स्वाद
चखाती जिंदगी।
हंसाती जिंदगी, रुलाती जिंदगी,
जिसने जैसे चाहा, वैसी उसको भाती जिंदगी,
कहीं काली रात में,
जुगनू की भांति टिमटिमाती जिंदगी,
कहीं चांदनी रात में, कोयला की
भांति कालिमा भिखराती जिंदगी।
ज़िंदादिली से जिना ही , नाम है जिंदगी,
जैसी भी "ताल," हो नाचना काम है जिंदगी
अपनी "आन बान" को बड़ा,
"शान "से जीना है जिंदगी,
अपने अस्तित्व को जिंदा रख,
अपने लिए भी जीना नाम है जिंदगी।