पार्टी तो बनती है
पार्टी तो बनती है
देखो थोड़ा राहत है पाई,
तुम सुुनाओ क्या हाल है भाई,
थक गया हूं मास्क लगा के,
अब खुली हवा में राहत आई।।
कल्लू बहुत दिन हो गए यार
चल घूम आए "बियर बार"
सुना है दारू मिलने लगी है,
दो चार बोतलें धर ले आज।।
क्या भीड़ लगी है ओ हो ओ हो,
मधुुशाला में रौनक सजी है,
दाम बढ़े है, फर्क नहीं पड़ता,
पीने वालों के दिलो में तलब मची है।।
मधुुशाला न हो मंंदिर हो जैसे,
भक्तों के मध्य भक्ति बड़ी है
कोई लेटा हुआ है, कोई गिरा पड़ा है
किसी को किसी से बैर नहीं है।।
कल्लू आज आत्मा तृप्त हुई है
तीन महीने की तपस्या पूूर्ण हुई है
मानो जिंदगी को सब कुछ मिल गया
जैसे ही एक घूंट शराब की
गले से जिस्म में उतरी है।।