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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Comedy Inspirational

साहित्य मंच

साहित्य मंच

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वाकई, सतरंगी चेहरों का गुलदस्ता है यह मंच

कुछ खाली कुछ भरे पन्नों का बस्ता है यह मंच 

कोई अंत्याक्षरी को ही जीवन समझता है

किसी को "निंदा" किये बिना चैन नहीं आता है


कोई राजनीति की पूरी दुकान खोलकर बैठा है

कोई अपने हाथ "बनारसी" पान लेकर बैठा है

किसी की कविता, गजल धूम मचा रही है

किसी की "कहानियां" खूब रंग जमा रही है


कोई प्रेम संबंधों पर "शोध पत्र" लिख रहा है

कोई अपने शब्दों से सबको "पॉर्न" दिखा रहा है

कुछ लोग "राष्ट्र भक्ति" का अलख जगा रहे हैं

तो कुछ लोग "चमचागिरी" में रिकॉर्ड बना रहे हैं


कोई अपनी साड़ियां दिखाने के लिए यहां आई है

किसी ने पाक कला दिखाने के लिए किचिन सजाई है

कुछ भी कहो, गजब का मेला लगा है यहां पर

लड़की बनकर अनेक लड़के बैठे हैं यहां पर।


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