आत्महत्या क्यों?
आत्महत्या क्यों?
शोर गुल के माहौल में तन्हा है इंसान
सबके साथ हो कर भी अकेला है इंसान,
धन है, दौलत है, फिर भी खाली हाथ है इंसान
जाने क्यों आज इतना बेबस है इंसान।।
दिखावे में जी रहा, या दिखावे को झेल रहा,
खुद को बेेबस कर, खुद सेेेे खेल रहा
दो पल का न चैन हैै उसे, न दो पल का आराम,,,
सब कुछ होने के बाद भी, तन्हा है इंसान।।
जाने क्या बिती होगी, क्या दर्द होगा उसके अंदर
ऐसे ही न मजबूर होगा , एक युद्ध चल रहा होगा उसके अंदर,,,
पार न कर पाया, दिखावे के दरब
ार को,
ईमानदार था, सहन न कर पाया बेईमानी के घाव को।
कर बैठा अपनी ही हत्या, छोड़ गया दुनिया सारी
चला गया तू,पर तेेेरेे पिछे उजड़ गई तेरे अपनों की बगीया सारी,,,
थोड़ा हिम्मत रखता, कर देता हाले दिल बयां
आत्महत्या कोई हल नहीं, जीवन है बहुमूल्य संपदा।।
समझना होगा हर किसी को,
न पहुुुुंचाएं चोट कोई भी किसी को
अपने दिले- दिमाग को मजबूत बनाना होगा
कैसी भी परिस्थिति सामने आए
हिम्मत कर आगे बढ़़ जाना होगा।।
हिम्मत कर आगे बढ़़ जाना होगा।।