Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

नविता यादव

Abstract

4.4  

नविता यादव

Abstract

आत्महत्या क्यों?

आत्महत्या क्यों?

1 min
183


शोर गुल के माहौल में तन्हा है इंसान

सबके साथ हो कर भी अकेला है इंसान,

धन है, दौलत है, फिर भी खाली हाथ है इंसान

जाने क्यों आज इतना बेबस है इंसान।।


दिखावे में जी रहा, या दिखावे को झेल रहा,

खुद को बेेबस कर, खुद सेेेे खेल रहा

दो पल का न चैन हैै उसे, न दो पल का आराम,,,

सब कुछ होने के बाद भी, तन्हा है इंसान।।


जाने क्या बिती होगी, क्या दर्द होगा उसके अंदर

ऐसे ही न मजबूर होगा , एक युद्ध चल रहा होगा उसके अंदर,,,

पार न कर पाया, दिखावे के दरबार को,

ईमानदार था, सहन न कर पाया बेईमानी के घाव को।


कर बैठा अपनी ही हत्या, छोड़ गया दुनिया सारी

चला गया तू,पर तेेेरेे पिछे उजड़ गई तेरे अपनों की बगीया सारी,,,

थोड़ा हिम्मत रखता, कर देता हाले दिल बयां

आत्महत्या कोई हल नहीं, जीवन है बहुमूल्य संपदा।।


समझना होगा हर किसी को,

न पहुुुुंचाएं चोट कोई भी किसी को

अपने दिले- दिमाग को मजबूत बनाना होगा

कैसी भी परिस्थिति सामने आए

हिम्मत कर आगे बढ़़ जाना होगा।।

हिम्मत कर आगे बढ़़ जाना होगा।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract