नारी चित्रण
नारी चित्रण
अंतिका के अंतर्मन में
ये कैसा अनंत शोर है,
भावों के जलाशय में
भिगा उसका रोम रोम है,,,,
ॳतिका के अंतर्मन में,,
ये कैसा अनंत शोर है।।
शांत चितवन, शांत अंबर
शांत धरोहर, शांत जलधर
शांत मुखमंडल, शांत जन-मन
कैसा अवलोकन, अव चिन्तन रूप है।।
अखंड है, बलशाली है,
अपराजिता, अन्नपूर्णा, अलौकिक शक्ति वाली है
चांद की चांदनी सी शितलता ओढ़े,
एक पूज्यनीय समांनित नारी है।।
माधुर्य उसके रूप रंग में,
लबों पे महकती फुलकारी है,
उन्मुक्त मस्त गगन में विचरण करती
अपने होने से,हर माहौल को रंग देती
ये सर्वगुसंपन्न्न नारी है।।