सोचों तो मानूं
सोचों तो मानूं


देह से परे भी मेरा वजूद है
ज़रा मुझे नज़र बदल के तो देख
एक बेहतरीन दोस्त पाायेगा मुझमें
कुछ इस तरह सोच कर तो देख।।
शारीरिक संरचना में हूं तुुझसे अलग,
पर आंतरिक रूप से तुझ जैसी हूं मैं
मेरे मनोभाव तुझसे भिन्न नहीं,,,
कुछ इस तरह समझ कर तो देख।।
साथ तेरे हूं, जब तक जीवन है,
एक बार दोस्त बना कर तो देख,
हर पल साथ पायेगा मुझे,,,,
इंसान समझ , कुछ इज्ज़त भरी नजरों से तो देख।।
स्त्री - पुरुष से परे इंसान हैं हम,
ईश्वर द्वारा निर्मित बहुमूल्य धरोहर है हम,
सूर्य तू है तो चांद हूं मैं,
आकाश तू है तो धरा हूं मैं,,
एक दूसरे से भिन्न, एक दूजे से जुड़े हैं हम,
मानवता से आभुषित दो नगीने है हम,,
तुम और मैं मिल बन सकते है ''हम''
कंधे से कंधा मिला नवयुग निर्माण कर सकते है हम।।
देह से परे भी मेरा वजूद है,
ज़रा मुझे नज़र बदल कर तो देख
एक बेहतरीन दोस्त पायेगा मुझमें,,
कुछ इस तरह सोच कर तो देख।।