शिक्षा
शिक्षा
जिंदगी एक संघर्ष है तो
उस संघर्ष का हथियार है
शिक्षा सिर्फ कमाने लायक
नहीं बनाती शिक्षा बल्कि
जिंदगी को आसान बनाती है शिक्षा
यह तो अपनी अपनी समझ की बात है
हर कोई पढ़ता है नौकरी या पैसे कमाने
के लिए पर जरा यह तो सोचो जो नहीं
पढ़े लिखे हैं वह क्या घर बार नहीं चलाते हैं
तुम्हारा तो अच्छा है कि लाखों खर्च किए
पढ़ाई में तुमने और हजारों की नौकरी ढूंढते
हो और ना मिल सके अगर नौकरी तुमको
तो शिक्षा में ही दोष निकालते हो
एक पढ़े लिखे और अनपढ़ में फर्क है तो
वह सोच समझ का भी है अगर कुछ गलत
देखकर उसको सही करने का सोचो तो तुम
शिक्षित कहलाने योग्य हो और अगर तुम भी
औरो की तरह और की तरह उसी रास्ते पर
चलने लगे यह ना सोचो कि वह कितना सही
या गलत था तो क्या तुम शिक्षित कहलाने
योग्य हो शिक्षित होना अच्छी बात है मगर शिक्षा
में केवल अपना ही स्वार्थ ना हो सिर्फ एक नौकरी के
लिए शिक्षा ग्रहण करना यह स्वार्थ नहीं तो क्या है
तुम्हारे शिक्षित होने का पता उन मार्कशीटो से
नहीं पता चलेगा दोस्तों बल्कि तुम जिस समाज
में रह रहे हो उससे लगेगा दोस्तों यह तो सिर्फ
कागज के टुकडे हैं असल में तो आपकी सोच
समझदारी तो तुम्हारे व्यवहार से पता चलती है
माना कि दुनिया में अच्छाई के मुकाबले बुराई
ज्यादा हैं मगर हम तो अच्छे कामों को बढ़ावा दें
माना हर गलत काम को एक आदमी ठीक नहीं
कर सकता मगर अपने आप को तो दलदल से
बचा सकता है दो रास्ते होते हैं हर इंसान के पास
जा जो हो रहा है उसे होने दो या जो गलत हो रहा
उसका सुधार या विरोध करो तभी हर बच्चा शिक्षित
कहलाएगा जब हमारा समाज सुख कीसांस ले पाएगा
नहीं कर सकते ना ज्यादा तो बस इतना ही कर
देना तुम निंदा चुगली किसी की बुराई तुम मत
करना किसी भी बुराई को अपने पास मत आने
देना अगर तुम्हारे किसी काम से तुम्हारे मां बाप
को निराश होना पड़े या उनका दिल दुखे तुम्हारी
वजह से औरो को देखकर अगर जवानी में तुमने
भी अपने प्यार की खातिर मां बाप को छोड़ दिया
और औरों की तरह तुमहे भी घरवालों से ज्यादा
नशा अच्छा लगने लगे कि एक घर दो भागों में बँट
जाए या शादी के बाद तुम्हारे मांँ बाप को तुम वृद्ध
आश्रम जाने से ना रोक पाऊं और औरो की तरह
औरत का अपमान तुम्हारे भी घर में होने लगे
कुछ ना करना कि एक सवाल करना क्या मैं
शिक्षित हूँ या मुझे हक है कि शिक्षा जैसे पवित्र
शब्द को अपने साथ जोड़ने से कि तुम्हारे बदलने
से समाज में बदलाव जरुर आता मगर यह क्या
तुम तो उन्हें देखकर बदलने लग गए जिन्हें
तुम्हें देखकर बदलना था
मैं हर मांँ बाप और हर अध्यापक को यह कहना
चाहता हूँ कि चाहे नौकरी के लिए बना दिया हो
काबिल इन्हे तुमने अपनी मेहनत से फिर भी
जब तक तुम अपने बच्चों को एक अच्छा इंसान
ना बना लो तब तक सब व्यर्थ रहेगा शिक्षा क्या है
उसके असल उदेशय को समझो शिक्षा के असल
उदेशय को समझो नहीं तो बेकार है वह शिक्षित
होना जो देश समाज के काम ना आए।
