STORYMIRROR

Padma Verma

Inspirational

3  

Padma Verma

Inspirational

"स्वर्गवासी पापा ने मदद की

"स्वर्गवासी पापा ने मदद की

3 mins
227

आप‌ बीती ....

   

   

आत्मा, परमात्मा पर आपको

   विश्वास है या नहीं, लेकिन मुझे

   तो है .....


   बात तब की है जब मैं चेन्नई में रहती थी। पापा के देहांत के बाद माॅं मेरे पास आई थी। माॅं - पापा का समय -चक्र संयुक्त परिवार रूपी तीर्थ - स्थल के बीच गुजरा। अत: बाहर जाने का मौका ही नहीं मिला। मेरे पास जब माॅं आई तो, मैंने उन्हें। तिरुपति दर्शन कराने के लिए सोचा। मेरे एक दोस्त ने अखबार दिया। जिसमें तिरुपति जाने वाले बस का नम्बर था। मैंने उस नम्बर पर फ़ोन करके तीन टिकट (अपनी, माॅं और बेटी ) कटवा ली। (पतिदेव टूर पर थे।) दूसरे दिन जाने की तैयारी में लग गई शाम को तूफ़ान का अंदेशा होने लगा। बस वाले का फ़ोन आ ही गया कि, बस नहीं जाएगी। कल सुबह बिना ए. सी बस में जाना चाहे तो जा सकती हैं। मैंने कहा -नहीं, मुझे ए. सी. बस में  जाना है, तो उसने कहा - तब आप रात आठ ‌‌बजे दुकान पर पहुंच जाइए।

        रात में जब दुकान हम सब पहुंचें तो कोई आदमी नहीं था। दुकानदार अकेला था। मैंने दुकानदार से पूछा - बस कब जाएगी ? अभी तक एक आदमी भी नहीं आया। उसने कहा - बस नहीं जाएगी, पर आपके लिए ए.सी . कार का इन्तजाम किया है। ड्राइवर के साथ में आपकी मदद के लिए एक हिन्दी बोलने वाला व्यक्ति भी  दिया है। मैंने मन ही मन सोचा कि जान न पहचान इतनी मेहरबानी क्यों ? मुझे डर भी लगने लगा। लेडिज अकेले दो अजनबी के साथ। बेटी भी उस वक्त सातवीं कक्षा में थी।  मेरी घबराहट वह भाॅंप गया, बोला -घबराइए मत, घर का आदमी है आराम से जाइए। मैंने कहा - मैंने तो बस किराया दिया है तो इसमें कैसे जाऍंगे। उसने कहा - चूॅंकि, बस कैन्सिल हो गई है इसलिए उसी किराए में ले जाऊंगा।

        तब मैंने पतिदेव को फ़ोन किया। उन्होंने अपने एक तमिल दोस्त द्वारा दुकानदार से बात करवाया। तब तक मेरे भाई का फ़ोन आ गया। उसे मेरे अकेले जाने से एतराज था। उसने भी एक अपने तमिल दोस्त से बात करवाया। सबको आश्चर्य हो रहा था कि बिना बुकिंग के इन्डिका गाड़ी, ड्राइवर, हिन्दी भाषी व्यक्ति कैसे उपलब्ध हुआ।

         ‌उसके बाद हमारी गाड़ी द्वारा तिरुपति  यात्रा शुरू हुई। रास्ते भर हमने आपस में बात नहीं की। बस भगवान का नाम लिए जा थे। बीच- बीच में वह हिंदी भाषी हमसे बात करके हमारा मन लगाने की कोशिश कर रहा था रात में एक जगह रोक कर वे लोग सिगरेट पीने लगे। अगर - बगल बिल्कुल सन्नाटा था। दिमाग में टीवी सीरियल के भयानक किस्से याद आने लगे। फिर भी भगवान का लेकर चुपचाप बैठे रहे। दो बजे रात में तिरुपति पहुॅंचे। टिकट की व्यवस्था कर हमें एक अच्छे होटल में ठहराया।  चाय, काॅपी, नाश्ता भिजवाया। फिर हम तिरुपति  दर्शन को निकल गए। दर्शन अच्छी तरह दर्शन करकेशाम को मंदिर से बाहर आए। उस हिन्दी भाषी ने बोला - आप लोगों को कुछ खरीदना है तो खरीद सकतीं हैं। हमने कुछ फोटो खरीदे और गाड़ी में बैठ गए। उस हिन्दी भाषी ने गाड़ी एक होटल में रोका। हमारी मनपसंद खाना खिलवाया। हमसे उसके पैसे भी नहीं लिए। ऐसा महसूस हो रहा था कि, वह हमें अच्छी तरह जानता है। 

      अब हम वापस लौट रहे थे। रात नौ बजे हम सही सलामत घर लौट आए। पतिदेव और भाई को भी सुकून मिला। 

        ऐसा महसूस होता है कि, पापा ने स्वर्गवासी होकर माॅं को तिरुपति घुमाने की अपनी दिली इच्छा पूरी कर दी। 

        

    ‌‌  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational