अच्छाई और बुराई।
अच्छाई और बुराई।
दोस्तों सच है कि हम सभी मनुष्यों की यह प्रवृत्ति,
अच्छाई से ज़्यादा बुराई पसंद करने की ये प्रवृत्ति।
बुराई जल्द आकर्षित और प्रभावित ही करती हमें,
अच्छाई नहीं आकर्षित और प्रभावित करती हमें।
रोशनी में कभी भी हमें अंधेरे का भान नहीं है होता,
अंधेरा पसरा तो रोशनी का महत्व पता तब चलता।
ये प्रेम, दया, शांति त्याग सत्य अच्छाई के प्रतीक है,
इनकी सहायता से सदा बुराई पर विजय मिलती है।
घृणा, क्रूरता अशांति असत्य बुराई के ही प्रतीक है,
इनसे हर हाल में हम सभी को हमेशा ही बचना है।
तो अच्छाई सकारात्मकता का एहसास कराती है,
तो बुराई तो नकारात्मकता का एहसास कराती है।