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Manju Saini

Inspirational

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Manju Saini

Inspirational

मेरी फुदकती चिड़िया

मेरी फुदकती चिड़िया

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फुदकती छोटी सी मेरी

चिड़िया आज न जाने कहाँ

क्यो रूठी हैं मुझसे..?

क्यो चुप हैं बोल आज तो..?


सुबह सुबह दाना चुनती थी

फुदक फुदक आँगन फिरती थी

छोटे छोटे पंखों से

दूर गगन को चूम लेती थी।


तिनका तिनका चुनचुन कर

नीड़ अपना बनाया करती थी

भरी दुपहरी आँगन आकर

ची ची ची ची किया करती थी


अपने छोटे पंखों से तू

फ़ूर से उड़ जाया करती थी

आज तेरी ची ची यादों में

बस याद तेरी दिला जाती हैं।


पानी भर रखती थी माँ

तू आती उसको रोज ही पीने

सुबह शाम दिखती थी अंगना

आज मेरा आँगन सुना सा

लौट आ तू फिर से वापिस


उसी पेड़ पर बना घोंसला

देखु अपनी खिड़की से मैं

मन मे ये ही इच्छा होती।


लगता हैं कुछ गलती हमसे हुई हैं

तभी तो तू रूठ गई हैं

आजा फिर से वापिस तू 

अब ना दोहराएंगे फिर से

फुदक फुदक चल अंगना में


पूरी कर दे घर की रौनक

अब ना रूठो मेरी चिरैया

लौट के आ जा बोल सुना जा।


इतना गुस्सा ठीक नही है

अपनी गलती मानी हमने

अब माफी दे दो तुम हमको

हम दोषी हैं तेरी हालत के


नही सम्भाल सके तुझको हम

एक बार फिर से आ जाओ

अब न जाने देंगे तुमको

राह निहारु पल पल अब तो।


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