अमर रहे ये देश
अमर रहे ये देश
लिखी हैं इतिहास के पन्नों पर, स्वतंत्रता संग्राम की गाथाएँ।
दे गए अपने प्राणों की आहुति, अनेक वीर और वीरांगनाएँ।
सदियों बाद आजादी का दिन, लेकर आया स्वर्णिम प्रभात।
गर्वोन्नत हुई फिर से भारत भूमि, बीत गई जब काली रात।
अनगिनत शहीदों के बलिदानों से, मिली हमें यह स्वतंत्रता।
खुली हवा में साँस ले रहे हम, सबक सीखा गई परतंत्रता।
भेदभाव मिटाकर मन से, फैलाये प्रेम विश्वास का प्रकाश।
अमर रहे यह देश हमारा, आओ करें हम चहुँमुखी विकास।
सोचकर अत्याचार, आज भी जल उठती है हृदय में ज्वाला।
गुलामी दुखों का गहरा सागर, है आज़ादी अमृत का प्याला।
अनगिनत शहीदों के बलिदान से, मिली हमें यह स्वतंत्रता।
खुली हवा में साँस ले रहे हम, सबक सीखा गई परतंत्रता।
भेदभाव मिटाकर मन से, फैलाये प्रेम विश्वास का प्रकाश।
अमर रहे यह देश हमारा, आओ करें हम चहुँमुखी विकास।
