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Anita Chandrakar

Abstract

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Anita Chandrakar

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होली रंगों का त्यौहार

होली रंगों का त्यौहार

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तन मन दोनों आल्हादित, आया रंगों का त्यौहार।

रंग, गुलाल, पिचकारी से, पाया नव रूप बाजार।


ढोल नंगाड़े चलो बजायें, मिलकर गाएँ फाग।

दहके टेसू महके सरसों, निखरा पीत पराग।


द्वेष दंभ अब भूलकर, फैलाएँ जग में प्यार।

बैर दुखों की जड़ होती, देता सुख सद्व्यवहार।


सुरभित साँझ पुरवाई, बहके बहके से हर बाग।

चलो लगाएँ रंग प्यार का, छेड़े उर वासंती राग।


दुष्प्रवृत्तियों का दहन करें, इस होली त्यौहार।

चलो मनाएँ प्रेम से होली, करें रंगों की बौछार।


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