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chandraprabha kumar

Inspirational

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chandraprabha kumar

Inspirational

अगाध राम रूप

अगाध राम रूप

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  गुण गाते राम के श्री वाल्मीकि

नहीं अघाते,

तुलसी रामरूप की झांकी

प्रस्तुत करते नहीं अघाते। 


नील कलेवर 

सरसिज लोचन और

बाहु विशाल ने उन्हें 

किया प्रेम मय इस कदर

कि उन्हें हर समय दिखती

सर्वॉंग सुन्दर राम की झॉंकी।


जटा मुकुट सिर

उर बनमाला का माधुर्य

देखते ही बनता है। 

तुलसी का भक्त हृदय

राम रूप की झॉंकी में

तन्मय हो उठा है। 


उनके शब्द फूटते हैं

स्वर माधुर्य निकलता है,

कविता सज जाती है,

रामचरित से अनमोल ग्रंथ का

प्राकट्य हो जाता है

तुलसी की वीणा के स्वरों से। 


कथा शिव जी कहते हैं

पार्वती जी सुनती हैं,

मानस रच शिव जी ने 

हृदय में रखा था,

तुलसीदास तो उसके गायक हैं

बस श्रीराम की कृपा से।


जन जन की भाषा में

इसे गाकर

अपने को धन्य मानते हैं

स्वान्तः सुखाय कहकर। 


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