सुषमा बेजोड़
सुषमा बेजोड़
फूलों से लदे पेड़
पीले नारंगी लाल गुलाबी,
जहां निगाह जाये
वहीं अटक जाये।
सुषमा इतनी लुभाये
मन न भरे,
अपने को भूल जायें
देखते ही रह जायें ॥
यह प्रकृति का संग
कभी कभी ही मिलता,
पर जब भी मिलता
सौमाग्य से मिलता।
अपने से बाहर निकलें
अन्तर्मन में जाने के लिए,
लगता विरोधाभास
पर यही सच भी है।
अन्दर बाहर का भेद
मिटकर हो अभेद,
सब कुछ हो एकाकार
माया मायापति एक राग ॥
