आ गया बसंत
आ गया बसंत
माघ शुक्ल की बसंत पंचमी,लेकर आयी बहार।
सरस्वती की आराधना से,मिलता ज्ञान अपार।
सरस्वती माँ ज्ञानदायिनी,सुर ताल संगीत देकर।
विद्या का वरदान दो,माँ करो हम पर उपकार।1।
पात पुराने झड़ कर,किसलय चढ़े हजार।
वन उपवन सज जाते हैं,चलती मंद बयार।
है पलाश में लालिमा,आम्रमंजरी की धार।
देखो धरा की दिव्यता,ले आया बसंत बहार।2।
दिशा दिशा में बहती बसंत बयार,लिए नव तरंग।
आ गया बसंत, मन में जागती कल्पनाएं अनंत।
मधुकर का होता गुँजन,कूकती कोयल वन वन।
किसलय का सौम्य रूप,महकता परिमल दिग्दिगंत।3।