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Sundar lal Dadsena madhur

Abstract Tragedy Inspirational

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Sundar lal Dadsena madhur

Abstract Tragedy Inspirational

एक पेड़ सौ पुत्र समान

एक पेड़ सौ पुत्र समान

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कटती धरती करे पुकार, वृक्ष लगाकर करो श्रृंगार।

पेड़ रहेगा जीवन में गर, तो सांस हमारी बढ़े अपार।


पेड़ पौधों से उर्वरा छाये, जीवों में नया विश्वास।

जल जंगल जमीन से उपजे, एक नयी अहसास।

गर धरती है हरी भरी, लगती मधुरम आसपास।

पेडों से जीता संसार, बिना न इनके जीवन खास। 

धरती का श्रृंगार हैं ये, पेड़ों की है दया अपार।

कटती धरती....................................1.


पेड़ है तो पास जीवन, काट न कर तू इसे वीरान।

पेड़ बिना ये जीवन की, बगिया

करो न सुनसान।

पेड़ लगाकर जीवन का, कर ले स्व पर एहसान।

आओ मिलकर पेड़ लगाएं, एक पेड़ सौ पुत्र समान।

जल जंगल जमीन से ही, चलता है यह संसार।

कटती धरती......................................2.


आओ मिलकर पेड़ लगाएं, करें धरा का श्रृंगार।

काट काट कर बंजर मानव, करें स्वयं को बीमार।

पेड़ काटना जीवन की, बन न जाये जीवन खार।

आओ मिलकर पेड़ लगाएं, ये जीवन का सार।

जीवन में होगी अनुकूलता, चलता इससे संसार।

कटती धरती.......................................3.


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