चिरंजीवी परशुराम
चिरंजीवी परशुराम
विष्णु के छठे अवतारी, जिसके चरण सुखधाम।
बंधन में है तो रामजी, बंधनमुक्त हैं श्री परशुराम।
संहार करते क्षत्रियों का, लेकर माताजी का नाम।
तेरी महिमा अपरम्पार, मिटते संकट लेने से नाम।1।
हाहाकार मची धरा पर, अब तो आओ परशुराम।
महादेव से परशु पाया, पूरण कर दो सारे काम।
त्रेतायुग रामायण काल, महर्षि जमदग्नि धाम।
रेणुका के गर्भ से जन्मे, रूप धरे जी परशुराम।2।
श्री परशुराम को चिरंजीवी होने का है वरदान।
शस्त्र विद्या के महान गुरु, रेणुका पुत्र परशुराम।
भीष्म द्रोण कर्ण के गुरु, शस्त्रविद्या किये प्रदान।
जयंती पावन अक्षय तृतीया पर, है उनको प्रणाम।3।