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sargam Bhatt

Abstract

4  

sargam Bhatt

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खुद की खुशियां हूं मैं

खुद की खुशियां हूं मैं

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खुद की खुशियां हूं,

हर रूप में मैं हूं।।


चूड़ियों की खनक हूं,

पायल की झनक हूं,

मेकअप के लिस्ट की,

मैं चेहरे की रौनक हूं।


खुद की खुशियां हूं,

हर रूप में मैं हूं।।


सूरज की किरण हूं,

बादलों की घटा हूं,

तारों के बीच रहती,

मैं चांद की छटा हूं।


खुद की खुशियां हूं,

हर रूप में मैं हूं।।


कलियों की झलक हूं,

बगीचे की ललक हूं,

भंवरे मुझ पर गुंजार करें,

मैं फूलों की महक हूं,


खुद की खुशियां हूं,

हर रूप में मैं हूं।।


नाक की नथिया हूं,

कान की बाली हूं,

गले का हार हूं मैं,

होंठ की लाली हूं।


खुद की खुशियां हूं,

हर रूप में मैं हूं।।


लौंग सी नशीली हूं,

इलायची की खुशबू हूं,

अदरक के कस वाली,

चाय की प्याली हूं।


खुद की खुशियां हूं,

हर रूप में मैं हूं।।



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