मानो या न मानो
मानो या न मानो
जो इस युग में हैं दौलत वाले,
वो माने, सब कुछ है बिकता।
बिके कहीं न माँ की ममता,
ममता माँ की गोदी में में पलता।
मानो या बिल्कुल न मानो,
सुंदर यौवन इक दिन ढल जाएगा।
जो भोग विलास सुख में हम जीते,
कभी तो दुःख भी आएगा।
मानो या न मानो जग वालों,
धन संपत्ति सब नश्वर है।
सदियों से जो सदैव अमर रहे,
सृष्टि में वह केवल ईश्वर है।
इस दुनिया में कुदरत ही है,
जो हमें चलाता खिलौने जैसा।
हमें गरूर तन मन धन पर है,
वह करता जैसा होता है वैसा।
इस सृष्टि में जिसने जन्म लिया,
उसकी मृत्यु होनी भी तय है।
मानो या मानो, सबके जीने का,
प्रभु ने निश्चय किया समय है।
कितने भी हम ताकतवर होते,
इक दिन हो जाते हैं कमजोर।
मानो या न मानो निश्चित ही,
मनुज का तब न चलता जोर।
हम सब इस आधुनिक युग में,
विज्ञान पर करते कितना विश्वास।
मानो या न बिल्कुल मानो,
तयशुदा वक़्त पर टूट जाती है सांस।
बहुधा न लोग मानते ईश्वर को,
बहुत रहते हैं सतर्क सावधान।
अचानक ऐसा कुछ घटित हो जाता,
तब भगवान को मानता है इंसान।