'प्रेम की परिभाषा'
'प्रेम की परिभाषा'
आँखों से आँखों की पढ़ लें भाषा,
कहलाती सच्ची प्रेम की परिभाषा।
तन मन सब हो जाते मधुर झंकृत,
साथ जीने की मन में अभिलाषा।।
प्रेम से जीवन में अनोखा एहसास,
प्रेमी प्रेमिका के मिलन की प्यास।
सतत, निर्मल, अविरल, प्रवाह प्रेम,
प्रेम में मिले सच जीवन की आस।।
सावन में बूंदों की पड़ती हो फुहार,
चहुँओर प्रकाश मिट जाए अंधकार।
नील गगन में उड़ने का करता मन,
तब लगता है हो गया है सच प्यार।।
प्रेम पवित्र सा एक मिलता स्पर्श है,
भावों के मिलन का दिखे विमर्श है।
प्रेम में अनुभव का होता मधुर भाव,
सब कुछ न्यौछावर करने में हर्ष है।।
प्रेम में मिले हमें ऊर्जा और दिलासा,
मन में जगे एक नई सुबह की आशा।
सारा जहां लगता है बहुत सुंदर सौम्य,
सच में मन में न हो कोई भी निराशा।।
खुला खुला सा सामने हो आसमान,
किसी बंधन का न हो कोई निशान।
प्रेम में हो बस! चले ठंडी सी बयार,
पक्षियों के जैसे उन्मुक्त हो उड़ान।।