साँवरा।
साँवरा।
मैं तो अपने सांवरे के ही गुण गाऊँ।
सांवरा मेरा छैल छबीला, रूप देख हर्षाऊँ।।
रात न नींद, दिवस नहीं चैना, रह- रह याद सताए।
मन व्याकुल उन बिन ऐसा, हृदय तपन बढ़ जाए।।
जिस विधि राखे, अच्छा लागे, लागी न छुट जाए।
प्रीत के खातिर सब कुछ वारुँ, प्रेम लगन हो जाए।।
लोक-लाज की चिंता छोडूँ ,सब तजि उन तक जाऊँ।
नहीं चिंता अब भूख-प्यास की, चरण तले मर जाऊँ।।
प्रेम प्याला उनका पी लीना, भव रोग मुक्त मुझको कर दीना।
" नीरज, के तो गुरुवर प्यारे, उनके रंग में ही रंग लीना।।