Rajeev Rawat

Romance

4.7  

Rajeev Rawat

Romance

इंतजार

इंतजार

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मैं

दिल के शिलालेख पर

तुम्हारी कोमल उंगलियों की पोरों से

उकेरे उन शब्दों को आज भी जब छूता हूं--

सच कहता हूं

ढलकते अश्रु, यादों के बादल, मचलते अरमान

रह रह कर रिसते हैं

और मैं 

तुम्हारे अहसास के धागों से उन्हें सिलता हूं--


कई बार

तुम्हारे उभरते अक्स छुपाने के प्रयासों के दरमियाँ 

स्वयं डूब जाता हूं उन अनकहे प्यार के

झंझावात में--

और

अनजाने ही सूखे दरख्तों पर हरी सी कोंपल बन

तुम

राधा सी नाचने लगती हो मन के सूने

वृंदावन में--


दिल गूंजने लगता है बांसुरी की प्रतिध्वनि से

और दूर कहीं

वीरावन में बजने लगती है प्यार की वही

विलुप्त धुन--

जो

तुमने मेरे तपते होंठों पर अपनी गुलाब की कोमल पंखुड़ियों को छुलाकर

एक भोलेपन की अदा के साथ कहा था 

आ दिल की धड़कन सुन---


उस दिन

तुम्हारी बंद आंखों से छलका था ज्योतिर्मय 

अमृत कलश--

कंपकंपाते होंठ, भाल पर चमकते श्वेत बिन्दु

बांहों के आलिंगन की अनकही 

अनजानी सी तपिश---


आज भी

तुम्हारे विछोह के दर्द को महसूस करता हूं

उमड़ते मचलते हुए अपने अंतःतल में-

सच में

कितना निश्छल, निष्कलंक होता है

किसी प्यार का यूं बौराना

चाहत का गुबार, जो तुम्हें पागलों की तरह

खोजता था आज में, कल में--


मैं

एक पागल हूं, जो अब भी उस रास्ते को

बुहारता हूं आंखों की पलकों से तेरे इंतजार में

शायद

किसी दिन मेरे प्यार की तपिश से हिम पर जमी

बर्फ पिघलेगी----

और शिव के केशों से मुक्त 

प्यार की गंगा एक बार फिर अवतरित होकर

मुझ जैसे अकिंचन के दर से निकलेगी--

                


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