दास्ताने ईश्क
दास्ताने ईश्क
#दासताने इश्क दिलों की
दुख भरी दास्तान एक प्रेमी कविता की..
हर एक बात में अपने आप को रंग डाला..
जब प्यार का रंग आया तो.. अपनो को और..
सुकुन की खातिर खुद को ही बेरंग कर डाला!
वाह री दुनिया.. जीना भी पड़ा तो तेरे लिए..
अपना वजूद तब भी नही और अब भी नहीं था!
हर एक की खुशी में अपनी खुशी को समा लिया..
जीवन अपना हमने कृष्णा की राधा–मीरा बना लिया!
जी रहे उस भक्ति में शक्ति में.. प्यार में विश्वास में..
हमने खुद को ही अपनी एक मनसोक्त कविता बना लिया!
लिखते रहते हम अपने फसाने अपनी कविता में .
ढाई अक्षर प्रेम का..उसे सिर्फ़...
हम ही समझ पाए अपनी लिखावट में!

