एक अरसा पड़ा सींचना पर उग गयी मेरी बोई कविता, कवि ने ऐसा क्या कह डाला कि सिसक सिसक रोई कविता एक अरसा पड़ा सींचना पर उग गयी मेरी बोई कविता, कवि ने ऐसा क्या कह डाला कि सिसक ...
गूगल के लिखावटों से विचारों के आंकलन हो जाते हैं। गूगल के लिखावटों से विचारों के आंकलन हो जाते हैं।
तेरे गोदी में सर रखकर सोने को दिल चाहता है, पर तू ही बता इतने गम छिपाकर तेरे गोदी में सर रखकर सोने को दिल चाहता है, पर तू ही बता इतने गम छिपाकर
बचपन को लौटना भी मुश्किल और भुला पाना भी मुश्किल ..... बचपन को लौटना भी मुश्किल और भुला पाना भी मुश्किल .....
और तीस साल इंतजार कर रे कलम, सब्र कर। और तीस साल इंतजार कर रे कलम, सब्र कर।
कविताओं में और इन लिखावट में भी तुम कैसे बताऊं..! कि मेरी कौन हो तुम ? कविताओं में और इन लिखावट में भी तुम कैसे बताऊं..! कि मेरी कौन हो तुम ?