एक कविता
एक कविता
एक कविता मैली मैली सी, एक रगड़ रगड़ धोयी कविता,
कवि ने ऐसा क्या कह डाला की सिसक सिसक रोई कविता।
एक कविता बचपन वाली थी एक लिखी जवानी की कविता,
एक कविता गुड्डे गुड़िया की एक राजा रानी की कविता,
एक लिख डाली है सपनों की एक लिखी हक़ीक़त की कविता,
एक कविता खुद के सच को और एक नसीहत की कविता,
जब भी कुछ मन पर बोझ हुआ तब लिख डाली कोई कविता।
कवि ने ऐसा क्या कह डाला की सिसक सिसक रोई कविता।
एक कविता आम के बौरों की एक पेड़ पे इमली की कविता,
एक कविता उस गौरैया की एक भौंरों तितली की कविता,
एक कविता आइस पाइस एक स्कूल छोड़ने की कविता,
एक सज़ा पता होने पर भी वो रूल तोड़ने की कविता,
जब जब यादों में उलझा तो मिल गयी एक खोयी कविता,
कवि ने ऐसा क्या कह डाला कि सिसक सिसक रोई कविता।
एक कविता लिखी मुहब्बत पर एक इश्क़ में खोने की कविता,
एक कविता दिन ढल जाने की फिर सुबह न होने की कविता,
एक कविता में बस रूह गढ़ा एक लिखी बनावट पर कविता,
एक इश्क़ सादगी हुस्न शर्म फिर तेरी मिलावट की कविता,
जब तक न तुझको लिख पाया अनवरत लिखी खोई कविता,
कवि ने ऐसा क्या कह डाला कि सिसक सिसक रोई कविता।
एक कविता सपनो का मातम एक ख्वाब की मैय्यत बांधे पर,
जिसमें लिखना चाहा खुशियाँ वो कविता छूटी आधे पर,
एक कविता लिखी नौकरी पर एक दिल की चाहत पर कविता,
ख्वाहिशों के खून से लिखा था जो दिल को उस ख़त पर कविता,
एक अरसा पड़ा सींचना पर उग गयी मेरी बोई कविता,
कवि ने ऐसा क्या कह डाला कि सिसक सिसक रोई कविता।