शायद
शायद
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बात कुछ हुई है डर गए हो शायद,
असल दुनिया मे तुम अभी नए हो शायद।
दो चार बार हार क्या गए सब कोशिशें छोड़ दी,
जिंदा होकर भी मर गए हो शायद।
तुम्हारी कोई अहमियत नही बची है आंखों में,
मेरी नजर-ए-मकान से तुम उतर गए हो शायद।
गाँव पर भी कोई रहता है शायद भूल गए हो,
गाँव छोड़कर जबसे शहर गए हो शायद।
इश्क़ प्यार जानू सोना बाबू सब तिलिस्मी है,
कल जो हुआ उससे पूरे बिखर गए हो शायद।
और मंजिल नही चारों तरफ 'अम्बुज' अंधेरा है,
करना था कुछ और, कुछ और कर गए हो शायद।