Karan Singh
Abstract
मिटती नहीं
लिखावट बचपन की
फिर थमा दे
रबड़ कोई,
भूलती नहीं
यादें बचपन की
फिर लौटा
दे बचपन कोई ...
बचपन की यादें
आंखों में थोड़ी नमी क्यों है ? कोई ज़रा मुझे बता दें, आखिर ऐसा क्यों है ? आंखों में थोड़ी नमी क्यों है ? कोई ज़रा मुझे बता दें, आखिर ऐसा क्यों है ?
खाने में, डॉक्टर की पाबंदी है, BP में, कभी तेज़ी, कभी मन्दी है! खाने में, डॉक्टर की पाबंदी है, BP में, कभी तेज़ी, कभी मन्दी है!
बस इन्हीं बातों का तो जिक्र है। इन्हीं बातों की ही फिक्र है। बस इन्हीं बातों का तो जिक्र है। इन्हीं बातों की ही फिक्र है।
चैटींग करके हर बात पूछने लग गये हैं। चैटींग करके हर बात पूछने लग गये हैं।
मातम दिल मेरा, पर इस कदर नहीं कि कोई शमशान। मातम दिल मेरा, पर इस कदर नहीं कि कोई शमशान।
एक सच्चाई है कैद झूठ के साए में कहीं। एक सच्चाई है कैद झूठ के साए में कहीं।
मति छनछन में दुखत जीवन दुखत जीवन कहत समय का फेर है। मति छनछन में दुखत जीवन दुखत जीवन कहत समय का फेर है।
*मुझ पर दोस्तों का प्यार,* *यूँ ही उधार रहने दो।* *मुझ पर दोस्तों का प्यार,* *यूँ ही उधार रहने दो।*
है मंहगाई बड़ी फिर भी खर्च करता हूं, ना बचा पाता हूं पैसा मर्ज करता हूं। है मंहगाई बड़ी फिर भी खर्च करता हूं, ना बचा पाता हूं पैसा मर्ज करता हूं।
तेरी हर बात पत्थर की लकीर जैसी , तेरे चेहरे की सादगी सच्चे वकील जैसी। तेरी हर बात पत्थर की लकीर जैसी , तेरे चेहरे की सादगी सच्चे वकील जैसी।
अब कब इन ख्वाहिशों की उड़ान मुकम्मल होगी। अब कब इन ख्वाहिशों की उड़ान मुकम्मल होगी।
जोश और स्फूर्ति का उबाल ला प्रसन्नता का आलम लाते, कभी अंधेरे से भी हमारा याराना बड़ा जोश और स्फूर्ति का उबाल ला प्रसन्नता का आलम लाते, कभी अंधेरे से भी हमारा यारा...
कौन पहचाने दर्द-ए-दिल को, दर्द तो दिल में हरदम रहता। कौन पहचाने दर्द-ए-दिल को, दर्द तो दिल में हरदम रहता।
मंजिल मुझे मिलती नहीं ख्वाहिश मेरी पूरी होती नहीं। मंजिल मुझे मिलती नहीं ख्वाहिश मेरी पूरी होती नहीं।
और बताओ देश के बुड़बक, जाति धर्म में बंटे हो कबतक। और बताओ देश के बुड़बक, जाति धर्म में बंटे हो कबतक।
लिखा था खत मैंने इंसानियत के पते पर, वो डाकिया ही मर गया पता खोजते - खोजते। लिखा था खत मैंने इंसानियत के पते पर, वो डाकिया ही मर गया पता खोजते - खोजते।
सारी उमर एक धुंध में, चलता ही चला गया। सारी उमर एक धुंध में, चलता ही चला गया।
यह सुन समझ ले धरा के वासी, जन्म से कौन देश भूप अविनाशी। यह सुन समझ ले धरा के वासी, जन्म से कौन देश भूप अविनाशी।
जीवन की इस चलती चक्री में, ना जाने कितने रिश्तों को, पीसकर उन्हें भुलाना पड़ता है।। जीवन की इस चलती चक्री में, ना जाने कितने रिश्तों को, पीसकर उन्हें भुलाना प...
पायल की झनक हूं, मेकअप के लिस्ट की, मैं चेहरे की रौनक हूं। पायल की झनक हूं, मेकअप के लिस्ट की, मैं चेहरे की रौनक हूं।