STORYMIRROR

Simmi Bubna

Abstract

4  

Simmi Bubna

Abstract

पत्र

पत्र

1 min
276

मेरी खुशी के लिए तरपती है तेरी आँखें,

मुझे देखने को झुलसता है तेरा दिल, 

मुझे भेज उस जंग के मैदान में..

मेरे एक पत्र के लिए बेचैन है तेरा मन, 


पर तू ही बता ?

कैसे भेज दूँ तुझे वो पत्र

जिसमें मेरे आने की उम्मीद ही है बस, 

मेरे खुश होने का झूठा विश्वास ही है बस, 

मेरे ज़िंदा होने की आस ही है बस,

तू ही बता कैसे भेज दूँ तुझे वो पत्र ? 


लिखता जरूर हूँ.. 

पर भेजने से दिल घबराता है,

तुझसे दूर रहने को भी दिल नहीं चाहता है, 

तेरे हाथों का स्वाद बहुत याद आता है, 

तेरे गोदी में सर रखकर सोने को दिल चाहता है, 


पर तू ही बता इतने गम छिपाकर

कैसे भेज दू तुझे वो पत्र ? 

जिसे पढ़ कर तू अनकही बातें समझ जाती हैं, 

जिसकी लिखावट देख के ही तू घबरा जाती हैं,

बता तू ही कैसे भेज दू तुझे वो पत्र !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract