नारी
नारी
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आज फिर नारियों की योग्यता का एतबार करते हैं,
आज फिर उनके सम्मान को बढ़ा आसमान तक पहुँचाते हैं,
आज फिर उनके करे बलिदान को याद करते हैं,
आज फिर उन्हें देवी का रुप बताते हैं,
आज फिर उन्हें एक आशा कि किरण दे सुकून का अनुसरण कराते हैं,
और कल फिर उसी निर्दयता से उसे जिंदा जला देते हैं,
किसी मासूम का शोषण कर अपने दानवता का परिचय कराते हैं,
ऐ मेरे दोस्तों,
भले ही उसके योग्यता, सम्मान, बलिदान का एतबार मत करो,
उसके त्याग का इजहार मत करो,
परंतु बस उसे एक निर्भयत्व एवं हिफाज़त भरे सफ़र का आगाम दो ||
