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Simmi Bubna

Tragedy

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Simmi Bubna

Tragedy

ईश्वरीय महिमा

ईश्वरीय महिमा

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गलतियाँ हो कई कुछ इस कदर कि 

आज तू भी भगवान रुठ सा गया,

द्वार तेरे बंद है

बोल कहाँ हम अपना सर झुकाये,


तू दर पर लाखों के पेट भरता था

तू ही बता आज कहाँ पेट लेकर

हम जाए,

अमीर सुकून से घर में पारिवारिक

समय बिता रहे

बोल हम पैदल घर तक भी कैसे जाए,


बंद कर अपने महल

घूम रहा तू भी सड़को और अस्पतालों में,

आज़ाद है तेरे पंछी

और कैद है आज मनुष्य ,

ग़लतियाँ तो हो गई पर अब तू

माफ़ भी कर दे

कुछ तो चमत्कार दिखा और

इस महामारी को भगा दे...


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