करो न, करो न
करो न, करो न
पर्यावरण को तुमने बिगाड़ सा दिया,
आज तुम्हारी ज़िन्दगी बिगड़ सी गई।
लगता है पाप का घड़ा भर सा रहा,
इंसानो को सीख मिल सी रही।
फिर भी तुम समझ नहीं रहे,
ज़िद बच्चों सी कर से रहे।
बाज़ार में तुम घूम भी रहे,
माहामारी क्यों फैला भी रहे।
घर पर तुम बैठोे न,
आराम तुम करो न।
बचपन के दिन याद करो न,
बस ज़िद तुम छोड़ों न।
इतनी सी गुज़ारिश समझो न,
साथ सबका तुम दो न।
करो न, करो न,
संकल्प साथ में करो न।
