इसलिए मौन हूँ...
इसलिए मौन हूँ...
पूछते है आज सब की मैं मौन क्यूँ हूँ?
ज्यादा बोल दी तो बोला,
तुम लड़की हो इतना बोलना ठीक नहीं,
कम बोलने लगी तो बोलते है तुम मौन क्यूँ हो?
खुदगर्ज़ हो गई तो बोला,
तुम लड़की हो पहले भाई, पति, बच्चों का सोचो,
जब उनका सोच खुद को कहीं भूल गई तो बोलते है तुम मौन क्यूँ हो?
आवाज़ उठाने की हिम्मत की तो दबा दी गई,
आज जब सहमी हूँ तो बोलते है तुम मौन क्यूँ हो?
सर उठा जीने लगी तो सर झुका दिया गया,
आज जब झुक के चल रही तो बोलते है तुम मौन क्यूँ हो?
उड़ान भरने लगी तो पर काट दिया,
आज जब उड़ना छोड़ दी तो बोलते है तुम मौन क्यूँ हो?
पूछते है आज सब की मैं मौन क्यूँ हूँ?
मैं मौन इसलिए हूँ क्योंकि...
मैं एक नारी हूँ,
मैं एक लड़की हूँ,
मौन रहना, सहना, चुप रहना ही मेरा पहचान है,
और आज मैं सिर्फ इसलिए ही मौन हूँ।।
