करो न, करो न!
करो न, करो न!
पर्यावरण को तुमने बिगाड़ सा दिया,
आज तुम्हारी ज़िन्दगी बिगड़ सी गई ;
लगता है पाप का घड़ा भर सा रहा,
इंसानो को सीख मिल सी रही ;
फिर भी तुम समझ नहीं रहे,
ज़िद बच्चों सी कर हो रहे;
बाज़ार में तुम घूम भी रहे,
माहामारी क्यों फैला भी रहे;
घर पर तुम बैठोे न,
आराम तुम करो न;
बचपन के दिन याद करो न,
बस ज़िद तुम छोड़ों न;
इतनी सी गुज़ारिश समझो न,
साथ सबका तुम दो न;
करो न, करो न,
संकल्प साथ में करो न |