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Simmi Bubna

Tragedy

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Simmi Bubna

Tragedy

करो न, करो न!

करो न, करो न!

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पर्यावरण को तुमने बिगाड़ सा दिया, 

आज तुम्हारी ज़िन्दगी बिगड़ सी गई ;

लगता है पाप का घड़ा भर सा रहा, 

इंसानो को सीख मिल सी रही ;

फिर भी तुम समझ नहीं रहे, 

ज़िद बच्चों सी कर हो रहे;

बाज़ार में तुम घूम भी रहे, 

माहामारी क्यों फैला भी रहे;

घर पर तुम बैठोे न, 

आराम तुम करो न;

बचपन के दिन याद करो न, 

बस ज़िद तुम छोड़ों न;

इतनी सी गुज़ारिश समझो न, 

साथ सबका तुम दो न;

करो न, करो न,

संकल्प साथ में करो न |


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