मेरे गाँव की चिनमुनकी
मेरे गाँव की चिनमुनकी
मीठे गीत प्रणय के गाकर
और रात सपनों में आकर
मुझको रोज छला करती है
मेरे गाँव की चिनमुनकी।
अक्सर कहकर मर जाऊँगी
मुझको बहुत डराती है।
और ठान ले जो जिद अपनी
मुझसे पाँव धराती है।
कभी - कभी रस खूब घोलकर
और कभी वो झूठ बोलकर
अक्सर बहुत कला करती है।
मेरे गाँव की चिनमुनकी।
कहीं देख ले साथ गैर के
फिर आफत बन जाती है।
हो करके वह आग बबूला
गुस्से से तन जाती है।
छुप जाती है कभी रूठकर
रोने लगती फूट - फूटकर
शम्मा बन पिघला करती है।
मेरे गाँव की चिनमुनकी।
आ पीछे से कभी - कभी वह
आँख बंद कर लेती है।
नह़ी देखता कोई फिर तो
बाँहों में भर लेती है।
सारे नखरे भूल भालकर
मुझ पर यौवन रूप डालकर
सचमुच बहुत भला करती है।
मेरे गाँव की चिनमुनकी।
ये दिल है बस सिर्फ उसी का
चंद दिनों की दूरी है।
छोड़ उसे मैं दूर आ गया
उफ ! कितनी मजबूरी है
यादों में पायल छनकाकर
और कभी कंगन खनकाकर
धड़कन संग चला करती है।
मेरे गाँव की चिनमुनकी।