STORYMIRROR

Dheeraj Srivastava

Romance Tragedy

4.8  

Dheeraj Srivastava

Romance Tragedy

दिल के द्वार पर

दिल के द्वार पर

1 min
497


साँझ जब आँसू बहाये,बैठ दिल के द्वार पर।

क्या भरोसा भोर का फिर, क्या तुम्हारे प्यार पर।


छीन निष्ठुर वक्त ने वो खत जला डाले सभी

जो लिखे थे चाँदनी ने बैठ के कचनार पर।


बर्फ जैसे हो गये हैं स्वप्न सारे नेह के

अब भला पिघलें तो कैसे और किस आधार पर।


टूटकर बरसा बहुत ही और क्या करता भला

जब नहीं मानी नदी फिर मेघ की मनुहार पर।


और भी पाना बहुत कुछ जिन्दगी तुमसे हमें

कब कटा जीवन किसी का चुंबनी उपहार पर।


लुट गयीं संवेदनाएँ सब तुम्हारी राह में

तय भला कैसे सफर हो प्रीति के उद्गार पर।


सोचिए तब वेदना की हद रही होगी कहाँ

रो पड़ा जब शूल कोई फूल के व्यवहार पर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance